Saturday, 30 January 2016

सिंगल यूजर और मल्टीयूजर

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में कम्प्यूटर पर एक समय में एक आदमी काम सकता है । सिंगल यूजर  ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्यतः पर्सनल कम्प्यूटरों में प्रयोग किए जाते हैं, जिनका घरों व छोटे कार्यालयों में उपयोग होता है । डॉस, विंडोज इसी के उदाहरण है । मल्टीयूजर प्रकार के सिस्टमों में एक समय में बहुत सारे व्यक्ति काम कर सकते हैं और एक ही समय पर अलग-अलग विभिन्न कामों को किया जा सकता है । जाहिर है, इससे कम्प्यूटर के विभिन्न संसाधनों का एक साथ प्रयोग किया जा सकता है । यूनिक्स इसी प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम है ।

कम्प्यूटर वायरस

VIRUS – Vital Information Resources Under Seized
यह नाम सयोग वश बीमारी वाले वायरस से मिलता है मगर ये उनसे पूर्णतः अलग होते है.वायरस प्रोग्रामों का प्रमुख उददेश्य केवल कम्प्यूटर मेमोरी में एकत्रित आंकड़ों व संपर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को अपने संक्रमण से प्रभावित करना है ।वास्तव में कम्प्यूटर वायरस कुछ निर्देशों का एक कम्प्यूटर प्रोग्राम मात्र होता है जो अत्यन्त सूक्षम किन्तु शक्तिशाली होता है । यह कम्प्यूटर को अपने तरीके से निर्देशित कर सकता है । ये वायरस प्रोग्राम किसी भी सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्राम के साथ जुड़ जाते हैं और उनके माध्यम से कम्प्यूटरों में प्रवेश पाकर अपने उददेश्य अर्थात डाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने के उददेश्य को पूरा करते हैं । अपने संक्रमणकारी प्रभाव से ये सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथवा क्षत-विक्षत कर देते हैं । वायरस से प्रभावित कोई भी कम्प्यूटर प्रोग्राम अपनी सामान्य कार्य शैली में अनजानी तथा अनचाही रूकावटें, गलतियां तथा कई अन्य समस्याएं पैदा कर देता है ।प्रत्येक वायरस प्रोग्राम कुछ कम्प्यूटर निर्देशों का एक समूह होता है जिसमें उसके अस्तित्व को बनाएं रखने का तरीका, संक्रमण फैलाने का तरीका तथा हानि का प्रकार निर्दिष्ट होता है । सभी कम्प्यूटर वायरस प्रोग्राम मुख्यतः असेम्बली भाषा या किसी उच्च स्तरीय भाषा जैसे “पास्कल” या “सी” में लिखे होते हैं ।
वायरस के प्रकार 
1. बूट सेक्टर वायरस
2. फाइल वायरस
3. अन्य वायरस
वायरस का उपचार : टीके 
जिस प्रकार वायरस सूक्षम प्रोग्राम कोड से अनेक हानिकारक प्रभाव छोड़ता है ठीक उसी तरह ऐसे कई प्रोग्राम बनाये गये हैं जो इन वायरसों को नेस्तानाबूद कर देते हैं, इन्हें ही वायरस के टीके कहा जाता है । यह टीके विभिन्नन वायरसों के चरित्र और प्रभाव पर संपूर्ण अध्ययन करके बनाये गये हैं और काफी प्रभावी सिद्ध हुयें है ।


आपरेटिंग सिस्टम की विशेषताए

1)मेमोरी प्रबंधन 
प्रोग्राम एवं आकडो को क्रियान्वित करने से पहले मेमोरी मे डालना पडता है अधिकतर आपरेटिंग सिस्टम एक समय मे एक से अधिक प्रोग्राम को मेमोरी मे रहने की सुविधा प्रदान करता है आपरेटिंग सिस्टम यह निश्चित करता है कि प्रयोग हो रही मेमोरी अधिलेखित न हो प्रोग्राम स्माप्त होने पर प्रयोग होने वाली मेमोरी मुक्त हो जाती है ।
2) मल्टी प्रोग्रामिंग
एक ही समय पर दो से अधिक प्रक्रियाओ का एक दूसरे पर प्रचालन होना मल्टी प्रोग्रामिंग कहलाता है । विशेष तकनिक के आधार पर सी.पी.यू. के द्वारा निर्णय लिया जाता है कि इन प्रोग्राम मे से किस प्रोग्राम को चलाना हैएक ही समय मे सी.पी. यू. किसी प्रोग्राम को चलाता है
3) मल्टी प्रोसेसिंग 
एक समय मे एक से अधिक कार्य के क्रियान्वयन के लिए सिस्टम पर एक से अधिक सी.पी.यू रहते है । इस तकनीक को मल्टी प्रोसेसिंग कहते है । एक से अधिक प्रोसेसर उपल्ब्ध होने के कारण इनपुट आउटपुट एवं प्रोसेसींगतीनो कार्यो के मध्य समन्वय रहता है ।
4) मल्टी टास्किंग 
मेमोरी मे रखे एक से अधिक प्रक्रियाओ मे परस्पर नियंत्रण मल्टी टास्किंग कहलाता है किसी प्रोग्राम से नियत्रण हटाने से पहले उसकी पूर्व दशा सुरक्षित कर ली जाती है जब नियंत्रण इस प्रोग्राम पर आता है प्रोग्राम अपनी पूर्व अवस्था मे रहता है । मल्टी टास्किंग मे यूजर को ऐसा प्रतित होता है कि सभी कार्य एक साथ चल रहे है।
5) मल्टी थ्रेडिंग 
यह मल्टी टास्किंग का विस्तारित रूप है एक प्रोग्राम एक से अधिक थ्रेड एक ही समय मे चलाता है । उदाहरण के लिए एक स्प्रेडशिट लम्बी गरणा उस समय कर लेता है जिस समय यूजर आंकडे डालता है
6)रियल टाइम 
रियल टाइम आपरेटिंग सिस्टम की प्रक्रिया बहुत ही तीव्र गति से होती है रियल टाइम आपरेटिंग सिस्टम का उपयोग तब किया जाता है जब कम्पयुटर के द्वारा किसी कारेय विशेष का नियंत्रण किया जा रहा होता है । इस प्रकार के प्रयोग का परिणाम तुरंत प्राप्त होता है । और इस परिणाम को अपनी गरणा मे तुरंत प्रयोग मे लाया जाता है । आवशअयकता पडने पर नियंत्रित्र की जाने वाली प्रक्रिया को बदला जा सकता है । इस तकनीक के द्वारा कम्पयुटर का कार्य लगातार आंकडे ग्रहण करना उनकी गरणा करना मेमोरी मे उन्हे व्यवस्थित करना तथा गरणा के परिणाम के आधार पर निर्देश देना है


कम्प्यूटर नेटवर्क

आज के युग मे उपयोगकर्ता को इलेक्ट्रानिक संचार की आवश्यकता है लोगो के परस्पर सूचना के संचार के संचार के लिए तकनीक की आवश्यकता है । एक अच्छी सूचना संचार पद्धति प्रत्येक संस्थानो के लिए आवश्यक है संस्थाए सूचना की प्रक्रिया के लिए परस्पर जुडे हुए कम्प्यूटर पर निर्भर रहती है इलेकट्रानिकी की सहायता एक से स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना प्रेषित करने की क्रिया को दूरसंचार कहते है । एक या एक से अधिक कम्प्यूटर और विविध प्रकार के टर्मिनलो के बीच आंकडो को भेजना या प्राप्त करना डाटा संचार कहलाता है ।
नेटवर्क की रूप रेखा
सामान्यतया संचार नेटवर्क मे किसी चैनल के माध्यम से प्रेषक अपना संदेश प्राप्तकर्ता को भेजता है। किसी भी नेटवर्क के पाँच मूल अंग है ।
1) टर्मिनल 
टर्मिनल मुख्य रूप से वीडियो टर्मिनल एवं वर्कस्टेशनो का समावेश होता है । इन पुट एवं आउट पुट उपकरण नेटवर्क मे डेटा भेजने एवं प्राप्त करने का कार्य करते है उदाहरणःमाइक्रोकम्प्यूटर ,टेलीफोन फेक्स मशीन आदि
2) दूरसंचार प्रोसेसर 
दूरसंचार प्रोसेसर वे टर्मिनल और कम्प्यूटर के बीच रहते है । ये डाटा भेजने एवं प्राप्त करने के सहायता करते है । मोडेम मल्टीप्लेक्सर ,फ्रन्ट एण्ड प्रोसेसर जैसे उपकरण नेटवर्क मे होने वाली विविध क्रियाओ और नियंत्रणो मे सहायता करता है।
3)दूरसंचार चैनल एवं माध्यम 
वे माध्यम जिनके उपर डाटा प्रेषित एवं प्राप्त किया जाता है उसे दूरसंचार चैनल कहते है । दूरसंचार नेटवर्क के विभिन्न अंगो को जोडने के लिए माध्यम का उपयोग करते है ।
4)कम्प्यूटर 
नेटवर्क सभी प्रकार के कम्प्यूटर को आपस मे जोडता है । जिससे वे उसकी सूचना पर प्रक्रिया कर सके ।
5)दूरसंचार साफ्टवेयर 
दूरसंचार साफ्टवेयर एक प्रोग्राम है जोकि होस्ट कम्प्यूटर पद्धति पर आधारित है । यह कम्प्यूटर पद्धति दूरसंचार विधियो को नियंत्रित करता है और नेटवर्क की क्रियाऔ को व्यवस्थित करता है

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