डेटा कम्यूनिकेशन माध्यम (Data Communication Medium)
एक कंप्यूटर से टर्मिनल या टर्मिनल से कंप्यूटर तक डाटा के प्रवाह के लिए किसी माध्यम की अवश्यकता होती हैं जिसे कम्यूनिकेशन लाइन या डाटा लिंक कहते हैं. ये निम्न प्रकार के होते है –
- स्टैंडर्ड टेलीफोन लाइन (Standard Telephone Line)
- को-एक्सेल केबल (Coaxial-Cable)
- माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission)
- उपग्रह संचार (Satellite Communication)
- प्रकाशीय तंतु (Optical Fiber)
स्टैंडर्ड टेलीफोन लाइन (Standard Telephone Line) – यह व्यापक रूप से उपयोग होने वाला डाटा कम्यूनिकेशन माध्यम हैं. इसके ज्यादा प्रभावी रूप से होने का कारण यह है की इसे जोड़ना सरल हैं तथा बड़ी मात्रा मे टेलीफोन केबल लाइन उपलब्ध है. ये दो तांबे के तार होते हैं जिनपर कुचालक की एक परत चढ़ी होती हैं.

को-एक्सेल केबल (Coaxial-Cable)- यह उच्च गुणवत्ता के संचार के माध्यम है. ये जमीन या समुन्द्र के नीचे से ले जाए जाते हैं. को-एक्सेल केबल के केन्द्र मे एक ठोस तार होता हैं जो कुचालक से चारों तरफ घिरा होता हैं. इस कुचालक के ऊपर तार की एक जाली होती हैं जिसके भी ऊपर एक और कुचालक की परत होती हैं. ये टेलिफोन तार की तुलना मे बहुत महगा होता है पर ये अधिक डेटा को ले जा सकता हैं. इसका उपयोग केवल टीवी नेटवर्क या फिर कंप्यूटर नेटवर्क मे किया जाता हैं

माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission) –इस सिस्टम मे सिग्नल खुले जगह से होकर रेडियो सिग्नल की तरह संचारित किये जाते हैं. यह स्टैंडर्ड टेलिफोन लाइन और को-एक्सेल केबल की तुलना मे तीव्र गति से संचार अदान प्रदान करता हैं. एक सिस्टम मे डाटा एक सीधी रेखा मे गमन करती है तथा एंटीना की भी आवश्कता होती हैं. लगभग तीस किलोमीटर पर एक रिले स्टेशन की भी जरुरत होती है. इसका उपयोग टीवी प्रसारण और सेलुलर नेटवर्क मे किया जाता हैं.

उपग्रह संचार (Satellite Communication)- उपग्रह संचार तीव्र गति के डेटा संचार का माध्यम है. यह लंबी दूरी के संचार के लिए आदर्श माना जाता हैं. अंतरीक्ष मे स्थित उपग्रह को जमीन पर स्थित स्टेशन से सिग्नल भेजा जाता है. उपग्रह उस सिग्नल का विस्तार कर दूसरे जमीनी स्टेशन को पुनः भेजता है. एक सिस्टम मे विशाल डेटा के समूह को कम समय मे अधिकतम दूरी पर भेजा जाता हैं. इसका उपयोग उपग्रह फोन, टीवी, इन्टरनेट और कई वैज्ञानिक कारण से किया जाता हैं.
प्रकाशीय तंतु (Optical Fiber)- यह एक नई तकनीक हैं जिसमे धातु के तार या केबल के जगह विशिष्ट प्रकार के ग्लास या प्लास्टिक तंतु का उपयोग किया जाता हैं. ये बहुत ही हलकी और और बहुत ही तेजी से डाटा अदान प्रदान करने मे कारगर होती हैं. यह प्रकाश को आधार बना कर उसी के माध्यम से डाटा को भेजती है. यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता हैं. यह रेडियो आवृति अवरोधों से मुक्त होता हैं. आज हरेक छेत्र मे इसका उपयोग किया जाता हैं. आपने बहुत से जगह टेबल पर रखा पतले पतले तारो से लाइट निकलने वाला सजाने का सामान देखा होगा ये उसी के सिद्धांत पर काम करता हैं.
नेटवर्क टोपोलॉजी
नेटवर्क टोपोलॉजी विभिन्न नोड्स या टर्मीनल (कंप्यूटर) को आपस में जोड़ने का तरीका हैं. यह विभिन्न नोड्स के बीच भौतिक संरचना को दर्शाता हैं.
नेटवर्क टोपोलॉजी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
१. मेस नेटवर्क- यह नेटवर्क उच्च ट्रेफिक स्थिति में मार्ग को ध्यान में रखकर उपयोग किया जाता हैं. इसमें किसी भी स्रोत से कई मार्गो से सन्देश भेजा जा सकता हैं. पूर्णतः इंटरकोनेक्टेड मेस नेटवर्क खर्चीला हैं, क्यूंकि इसमें ज्यादा केबल और हर नोड पर इंटेलीजेंस की आवश्यकता होती हैं. इस नेटवर्क में उच्च सुरक्षा अनुप्रोयोग में डाटा प्रेषित किया जाता हैं.

२. स्टार नेटवर्क- इस नेटवर्क में एक केन्द्रीय नोड होता हैं जो इंटेलीजेंस से युक्त होता हैं. बाकी नोड्स इससे जुड़ा होता हैं. इस केन्द्रीय नोड को हब कहा जाता हैं. कोई एक केबल मे कोई समस्या आने पर नोड विफल होता हैं परन्तु हब में कोई समस्या आने पर सारा नेटवर्क विफल हो जाता हैं. इसका स्वरुप तारा के सामान होने के कारण इसे स्टार नेटवर्क के नाम से जाना जाता हैं.

३. रिंग नेटवर्क- इस नेटवर्क में सभी नोड्स में इंटेलीजेंस होता हैं. डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता हैं परन्तु किसी भी एक केबल या नोड में समस्या आने पर दूसरे दिशा में डाटा का प्रवाह संभव हैं. इसका स्वरुप रिंग (गोले) के सामान होने के कारण इसे रिंग नेटवर्क के नाम से जाना जाता हैं.

४. बस नेटवर्क- इस नेटवर्क के सभी नोड एक ही केबल से जुड़े होते हैं. कोई भी नोड किसी दूसरे नोड को डेटा प्रेषित करना चाहता हैं तो उसे देखना होता हैं कि बस में कोई डेटा प्रवाहित तो नहीं हो रहा हैं. बस खाली रहने पर नोड डेटा प्रेषित कर सकता हैं. डेटा प्राप्त करने करने के लिए हर नोड के पास इतनी इंटेलीजेंस होनी चाहये कि बस से अपने पता ज्ञात कर डेटा प्राप्त कर सके. इसमें कम केबल कि आवश्कता होती हैं. तथा कोई नया नोड जोड़ना आसान होता हैं. 

डेटा ट्रांसमिशन सेवा (Data Transmission Service)
डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजने के लिए जिस सेवा का उपयोग होता हैं उसे डेटा ट्रांसमिशन सेवा कहते हैं. इस सेवा को देने वाले को डेटा ट्रांसमिशन सेवा प्रदाता (Data Transmission Service Provider) कहते हैं. जैसे-
डेटा ट्रांसमिशन सेवा निम्नलिखित हैं-
१. डायल अप लाइन (Dialup Line) – डायल अप लाइन टेलीफोन कनेक्शन से सम्बंधित हैं जो एक सिस्टम में बहुत सारे लाइनों तथा यूजर्स से जुड़ा होता हैं. इसका उपयोग टेलीफोन की तरह नंबर डायल कर संचार स्थापित करने में किया जाता हैं. इसे कभी कभी स्विच लाइन भी कहा जाता हैं. यह पहले से विद्यमान टेलीफोन सेवा का उपयोग करता हैं. ब्रॉडबैंड तकनीक भी डायल उप कनेक्शन का ही उपयोग करता हैं.
२. लीज्ड लाइन (Leased Line) – लीज्ड लाइन आवाज और डेटा दूरसंचार सेवा के लिए दो स्थानों को जोड़ती हैं. यह एक सिर्फ, समर्पित लाइन (Dedicated Line) नहीं हैं, बल्कि यह वास्तव में दो बिंदु के बीच आरक्षित सर्किट हैं. इसका सबसे ज्यादा उपयोग उद्यगो दुवारा अपने शाखाओं को जोड़ने के लिए किया जाता हैं क्यूंकि यह नेटवर्क ट्राफिक के लिए बैंडविड्थ की गारण्टी देता हैं.
३. एकत्रित सेवा डिजिटल नेटवर्क (ISDN- Integrated Services Digital Network)– एकत्रित सेवा डिजिटल नेटवर्क सर्किट स्विच टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से आवाज, डेटा और छवी का स्तान्तरण हैं. इस सेवा के अंतर्गत आवाज, डेटा और छवी को डिजिटल रूप में भेजा जाता हैं और जरुरत के अनुरूप इस्तेमाल किया जाता हैं. इस सेवा में मोडेम की जरुरत नहीं होती क्यूंकि डेटा का आदान प्रदान केवल डिजिटल रूप में होता हैं.
मोडेम (MODEM- Modulator Demodulator)
जब इन्टरनेट को टेलीफोन लाइन के माद्यम से कनेक्ट करते हैं तो मोडेम की अवश्यकता होती हैं. यह कंप्यूटर में चल रहे इन्टरनेट ब्रोजर और इन्टरनेट सर्विस प्रदाता के बीच आवश्यक लिंक हैं. टेलीफोन लाइन पर एनालोग सिग्नल भेजा जा सकता हैं, जबकि कंप्यूटर डिजिटल सिग्नल देता हैं. अतः इन दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए मोडेम की अवश्यकता होती हैं, जो डिजिटल सिग्नल को एनालोग में और एनालोग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में रूपांतरित करता हैं. मोडेम के दोनों ओर कंप्यूटर ओर टेलीफोन लाइन से जुड़ा होना अवश्यक होता हैं. मोडेम से स्पीड को Bit Per Second (BPS), Kilobyte Per Second (KBPS), Megabyte Per Second (MBPS), में मापा जाता हैं.
मोडेम मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –
अ) इंटरनल (आंतरिक) मोडेम – ऐसा मोडेम जो डेस्कटॉप या लैपटॉप में अंदर से ही लगा होता हैं. ऐसा मोबाइल जिसमे हम इन्टरनेट का प्रयोग करते हैं, उसमे इसी प्रकार के मोडेम का इस्तेमाल किया जाता हैं.

आ) एक्स्टर्नल (बाह्य) मोडेम- ऐसा मोडेम जिसे डेस्कटॉप या लैपटॉप में बाहर से लगाना पड़ता हैं. डेटा कार्ड (Photon, IDIA etc) या PCMCI में इस प्रकार के मोडेम का उपयोग किया जाता हैं.

अतः मोडेम एक ऐसा डिवाइस हैं जो डेटा को पल्स में परिवर्तित करता हैं तथा उन्हें टेलीफ़ोन लाइन पर संप्रेषित करता हैं.
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