हम देखेंगे की कंप्यूटर पर इन्टरनेट शुरू करने से पहले हमें किन-किन चीजों की आवश्यकता होती हैं-
– कंप्यूटर या मोबाइल (जो G.P.R.S सपोर्ट करता हो )
– टेलीफोन या मोबाइल सीम कार्ड
– मोडेम
– सॉफ्टवेयर जिसके मदद से इंटरनेट पर काम किया जाता हैं.
कंप्यूटर या मोबाइल (जो G.P.R.S सपोर्ट करता हो )- बाजार में मिलने वाले घरेलू उपयोग वाले सभी कंप्यूटर को इन्टरनेट से जोड़ा जा सकता हैं. अगर आप अपने मोबाइल में इन्टरनेट का उपयोग करना चाहते हैं तो मोबाइल लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना जरुरी हैं की वह मोबाइल फोन G.P.R.S सपोर्ट करता हैं या नहीं. बस जो फोन G.P.R.S सपोर्ट कर सकता हैं उसी में इन्टरनेट का उपयोग किया जा सकता हैं.
टेलीफोन या मोबाइल सीम कार्ड- कंप्यूटर दुवारा बनने वाले डिजिटल सिग्नल को टेलीफ़ोन लाइन वाले एनालोग सिग्नल के माद्यम से ही एक जगह से दूसरे जगह भेजा जाता हैं. इस कारण इन्टरनेट के इस्तेमाल के लिए एक फोन लाइन का होना अतिआवश्यक होता हैं. नया फोन लेते वक्त कुछ खास बातों पर ध्यान देना होता हैं –
– हम जिस कंपनी का फोन लेने जा रहे हैं वह इन्टरनेट सेवा प्रदान करता हैं या नहीं,
– कंपनी स्वयं मोडेम प्रदान करता हैं या नहीं
– कंपनी किस प्रकार का सेवा मुहैया करवाता हैं जैसे ब्रोड्बैंड, डायलअप, लीज्ड लाइन आदि.
– फोन प्रदाता कम्पनी किस प्रकार अपना बिल लेता हैं मसलन मासिक चार्ज कितना लेती हैं, उसमे कितना डाउनलोड्स मुफ्त मिलता हैं, अतरिक्त डाउनलोड होने पर चार्ज कितना लिया जाता हैं. आदि
मोबाईल में डिजिटल सिग्नल को टेलीफ़ोन लाइन वाले एनालोग सिग्नल के माद्यम से एक जगह से दूसरे जगह भेजने के लिए सीम कार्ड का उपयोग किया जाता हैं. मोबाईल में सीम कार्ड लेते वक्त ये जानकारी प्राप्त करना जरुरी होता हैं की सीम कार्ड वाली कंपनी इन्टरनेट सेवा देती हैं या नहीं, और देती हैं तो उसके चार्ज कितने होते हैं.
मोडेम– अगर फोन प्रदाता कंपनी आपको मोडेम प्रदान नहीं कर रहीं हैं तो आपको बाजार से मोडेम खरीदना होगा. यहाँ आपको इस बात पर ध्यान देना होगा की फोन सेवा देने वाली कंपनी अधिकतम कितने स्पीड का इन्टरनेट सेवा प्रदान करती हैं, उसी के आधार पर आपको मोडेम लेना पड़ता हैं.
मोबाईल फोन जिसमे G.P.R.S सुविधा होती हैं मोडेम आंतरिक तौर पर ही लगा होता हैं. इस कारण हम मोबाइल में तो इन्टरनेट उपयोग कर ही सकते हैं इसके साथ ही हम मोबाइल को कंप्यूटर से जोड़ कर फोन और मोडेम जैसा भी ऊपयोग कर सकते हैं.
इसके साथ ही बाजार में बहुत डेटा कार्ड भी उपलब्ध हैं जिसका उपयोग हम सीधे तौर पर मोडेम और टेलीफोन जैसा कर सकते हैं. इसमें भी मोबाईल जैसे टेलीफ़ोन और मोडेम दोनों का एक साथ उपयोग करने के लिए सीम कार्ड की जरुरत होती हैं. डेटा कार्ड भी मोबाइल जैसा मुख्यतः दो प्रकार का होता हैं
अ) GSM (ग्रुप स्पेशल मोबाइल )
ब) CDMA (कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस)
सॉफ्टवेयर जिसके मदद से इंटरनेट पर काम किया जाता हैं-
इन्टरनेट पर काम करने के लिए एक विशेष प्रकार के अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती हैं. जिसके उपयोग से ही हम इन्टरनेट पर काम कर सकते हैं. इस सॉफ्टवेयर की और अधिक जानकारी के लिए देखे – इन्टरनेट सॉफ्टवेयर या वेब ब्राउजर
जब उपरोक्त सभी सामग्री उपलब्ध हो जाय तब ही इन्टरनेट प्रारम्भ करना सम्भव हो सकता हैं.
मोबाईल से कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाना
जब मोबाईल पर इन्टरनेट प्रारम्भ हो जाती हैं तो हम उस मोबाईल का उपयोग मोडेम की तरह करके उसे कंप्यूटर से भी जोड़ सकते हैं और कंप्यूटर पर भी इन्टरनेट का उपयोग कर सकते हैं. सबसे पहले हमें मोबाईल और कंप्यूटर में सम्बन्ध स्थापित करना होगा.
अगर तार के माद्यम से कर रहे है तो-

स्टेप एक – अगर कंप्यूटर में ओपरेटिंग सिस्टम विन्डोज़ एक्स० पी० हैं तो मोबाईल के साथ मिलने वाले सी० डी० को एक बार अपने कंप्यूटर में ऑटो रन करवाना होगा. चूकी जब हम कंप्यूटर में कोई नया हार्डवेयर को जोड़ते हैं तो कंप्यूटर को सॉफ्टवेयर की मदद से ये बतलाना होता हैं कि आखिर उस नए हार्डवेयर का काम क्या हैं और ये कैसे काम करेगा. इस सॉफ्टवेर को ड्राईवर सॉफ्टवेर कहा जाता हैं. और अगर कंप्यूटर में ओपरेटिंग सिस्टम विन्डोज़ सेवेन हैं तो इसकी जरुरत नहीं होती क्यूँकि विन्डोज़ सेवेन में अधिकांश ड्राईवर सॉफ्टवेर पहले से डाला हुआ रहता हैं.
स्टेप दो– जब कंप्यूटर में एक बार सि०डी० चल जाता हैं तो कंप्यूटर को रिस्टार्ट कर देंगे और मोबाईल के साथ मिले तार का एक छोर कंप्यूटर में और दूसरा छोर मोबाईल में जोड़ कर हार्डवेयर अच्छे से जुड़ने का सन्देश आने का इंतजार करेंगे. अगर सब कुछ सही रहा तो नोटीफिकेशन बार (डेस्कटॉप कि एसी जगह जहाँ समय दिखता हैं) पर एक सन्देश आयेगा कि हार्डवेयर सही तरीके से जुड गया हैं और अब आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
इस दो स्टेप के करने से ही आपका मोबाईल कंप्यूटर से जुड़ जाता हैं. ऊपर का ये दोनों स्टेप सभी मोबाईल के लिए एक ही होता हैं परन्तु इससे आगे का काम अलग अलग मोबाईल में अलग अलग तरीके से होता हैं. सभी मोबाइल्स सॉफ्टवेयर में जो खास बातें ध्यान रखनी हैं वो हैं- हम मोबाईल जोड़ने के बाद उस मोबाईल सॉफ्टवेयर को खोल लेंगे उसके सेटिंग में जा कर हम जिस कम्पनी का सीम इस्तेमाल कर रहे हैं उसका APN और डायलअप नंबर डालेंगे. APN और डायलअप नंबर हमे उस सीम कम्पनी के ग्राहक सेवा केन्द्र से बात करने पर मिल जाएगा. इस प्रक्रिया के बाद इसी सॉफ्टवेयर से दुवारा इंटरनेट कनेक्ट किया जा सकता हैं.
अगर ब्लूटूथ से कर रहे है तो-

स्टेप एक – पहले यह सुनिश्चित करना होता हैं कि कंप्यूटर और मोबाईल दोनों में ब्लूटूथ हैं या नहीं. ब्लूटूथ से जोड़ने के लिए दोनों में ब्लूटूथ होना अतिआवश्यक होता हैं. अगर कंप्यूटर में ब्लूटूथ में नहीं हैं तो बाजार से अलग से ब्लूटूथ खरीदना होता हैं. और अगर मोबाईल में नहीं हैं तो फिर ब्लूटूथ युक्त मोबाईल लेना होता हैं. अलग से लिए गए ब्लूटूथ को कंप्यूटर में लगा कर एक बार उसका ड्राईवर सॉफ्टवेर कंप्यूटर में चलाना होगा. जब ये प्रक्रिया पूरी होती हैं तो नोटीफिकेशन बार पर एक आइकन बन जाएगा.
स्टेप दो– मोबाईल में ब्लूटूथ को ओन् कर लेंगे. उसके बाद नोटीफिकेशन बार वाले ब्लूटूथ आइकन को ओपन करके न्यू डिवाइस सर्च करेंगे. जब ब्लूटूथ सॉफ्टवेर में मोबाईल का आइकन बन जायगा तब पैरिंग का काम करेंगे. इस प्रक्रिया में कंप्यूटर पर कोई अंक दबाना होता हैं फिर उसी अंक को मोबाईल पर दबाना होता हैं. इससे यह सुनिश्चित किया जाता हैं कि डाटा अदान प्रदान करने के लिए दोनों डिवाइस तेयार हैं या नहीं या कोई अन्य उपकरण तो दोनों के बीच में नहीं आ रहा. जब यह सम्पन होती हैं तो हम मोबाईल को सीरियल पोर्ट के तौर पर कांनेक्ट कर देंगे.
इस दो स्टेप के करने से ही आपका मोबाईल कंप्यूटर से जुड़ जाता हैं. फिर ब्लूटूथ आप्शन में डायलअप का इस्तेमाल करके इन्टरनेट प्रारम्भ किया जाता हैं.
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