Saturday, 30 January 2016

इन्टरनेट

इन्टरनेट शब्द को अगर दो भागो मे बाँट दिया जाये तो इंटरनेशनल + नेटवर्क दो शब्द बनते हैं, और दोनों शब्दों का मतलब निकाला जाये तो इसका अर्थ आता हैं अन्तर्राष्ट्रीय जाल अर्थात ऐसा जाल जिसमे सम्पूर्ण संसार शामिल हो.
इंटरनेट दुनिया भर में सार्वजनिक रूप से सुलभ कंप्यूटर के सुपर नेटवर्क है. इंटरनेट नेटवर्क  मे हजारों की  संख्या मे पूरी दुनिया के कंप्यूटर जुड़े हुए हैं|
इंटरनेट का सफर, १९७० के दशक में, विंट सर्फ (Vint Cerf) और बाब काहन् (Bob Kanh) ने शुरू किया गया। उन्होनें एक ऐसे तरीके का आविष्कार किया, जिसके द्वारा कंप्यूटर पर किसी सूचना को छोटे-छोटे पैकेट में तोड़ा जा सकता था और दूसरे कम्प्यूटर में इस प्रकार से भेजा जा सकता था कि वे पैकेट दूसरे कम्प्यूटर पर पहुंच कर पुनः उस सूचना कि प्रतिलिपी बना सकें – अथार्त कंप्यूटरों के बीच संवाद करने का तरीका निकाला। इस तरीके को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल {Transmission Control Protocol (TCP)} कहा गया।
सूचना का इस तरह से आदान प्रदान करना तब भी दुहराया जा सकता है जब किसी भी नेटवर्क में दो से अधिक कंप्यूटर हों। क्योंकि किसी भी नेटवर्क में हर कम्प्यूटर का खास पता होता है। इस पते को इण्टरनेट प्रोटोकॉल पता {Internet Protocol (I.P.) address} कहा जाता है। इण्टरनेट प्रोटोकॉल (I.P.) पता वास्तव में कुछ नम्बर होते हैं जो एक दूसरे से एक बिंदु के द्वारा अलग-अलग किए गए हैं।
सूचना को जब छोटे-छोटे पैकेटों में तोड़ कर दूसरे कम्प्यूटर में भेजा जाता है तो यह पैकेट एक तरह से एक चिट्ठी होती है जिसमें भेजने वाले कम्प्यूटर का पता और पाने वाले कम्प्यूटर का पता लिखा होता है। जब वह पैकेट किसी भी नेटवर्क कम्प्यूटर के पास पहुंचता है तो कम्प्यूटर देखता है कि वह पैकेट उसके लिए भेजा गया है या नहीं। यदि वह पैकेट उसके लिए नहीं भेजा गया है तो वह उसे आगे उस दिशा में बढ़ा देता है जिस दिशा में वह कंप्यूटर है जिसके लिये वह पैकेट भेजा गया है। इस तरह से पैकेट को एक जगह से दूसरी जगह भेजने को इण्टरनेट प्रोटोकॉल {Internet Protocol (I.P.)} कहा जाता है।
अक्सर कार्यालयों के सारे कम्प्यूटर आपस में एक दूसरे से जुड़े रहते हैं और वे एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं। इसको Local Area Network (LAN) लैन कहते हैं। लैन में जुड़ा कोई कंप्यूटर या कोई अकेला कंप्यूटर, दूसरे कंप्यूटरों के साथ टेलीफोन लाइन या सेटेलाइट से जुड़ा रहता है। अर्थात, दुनिया भर के कम्प्यूटर एक दूसरे से जुड़े हैं। इण्टरनेट, दुनिया भर के कम्प्यूटर का ऎसा नेटवर्क है जो एक दूसरे से संवाद कर सकता है।


कंप्यूटर बूटिंग

कंप्यूटर को ऑन/ऑफ करने की प्रक्रिया को बूटिंग के नाम से जाना जाता है. यह प्रत्येक कंप्यूटर के सबसे पहली प्रक्रिया होती हैं. एक पर्सनल कंप्यूटर में सामान्यतः केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई (सीपीयू) के डब्बे में ऑन/ऑफ का बटन होता है जिसे दबा कर हम कंप्यूटर को बूट करते हैं.
बूटिंग दो प्रकार के होते हैं-
१)      कोल्ड बूटिंग
२)     वार्म बूटिंग
ऑन/ऑफ बटन दबा कर कंप्यूटर को खोलने की क्रिया को कोल्ड बूटिंग कहा जाता हैं. अगर कंप्यूटर खुल गया हो परन्तु ऑफ न हो रहा हो या कोई प्रोग्राम फस गया हो तो कंप्यूटर को की-बोर्ड के Alt+Ctrl+Del दबा कर या फिर रिस्टार्ट बटन का उपयोग कर कंप्यूटर को बंद किया जाता हैं, यह प्रक्रिया को वार्म बूटिंग के नाम से जाना जाता है.



विन्डोज़ की आन्तरिक/बाह्य एप्लिकेशन (सोफ्टवेयर)
जब कंप्यूटर मे ओपरेटिंग सिस्टम के तौर पर विन्डोज़ को लोड किया जाता है तो उसके साथ काम करने के लिए आवश्यक सोफ्टवेयर खुद ब् खुद लोड हो जाता है वहीँ विन्डोज़ का आन्तरिक एप्लिकेशन (सोफ्टवेयर) कहलाता है और जो सोफ्टवेयर विंडोज के लोड हो जाने के बाद अलग से किसी अन्य माध्यम से कंप्यूटर मे डाला जाता हैं उसे बाह्य एप्लिकेशन (सोफ्टवेयर) कहा जाता हैं.
आन्तरिक एप्लिकेशन के उदाहरण के लिए

MS-PAINT*                      – इस एप्लिकेशन का उपयोग चित्र बनाने के लिए किया जाता हैं.

CALCULATOR*               – अंकीय जोड़-घटा करने के लिए कैलकुलेटर का उपयोग किया जाता हैं.

INTERNET EXPLORER*        – इंटरनेट पर काम करने के लिए इस सॉफ्टवेर का उपयोग किया जाता हैं.

WINDOWS MULTIMEDIA*     – गाना-विडियो सुनने और देखने के लिए इस सॉफ्टवेर का उपयोग किया जाता हैं.

WINDOWS MOVIE MAKER*    – विडियो मे कुछ फेर बदल करने के लिए या जोड़ने आदि के लिए इस सॉफ्टवेर का उपयोग किया जाता हैं.

NOTEPAD*                  – यह एक टेक्स्ट एडिटर प्रोग्राम होता हैं, अर्थात इसके अंतर्गत लिखने आदि का काम होता हैं. यह प्रोग्राम दिखाने मे जितना साधारण लगता है उससे बहुत ज्यादा शक्तिशाली प्रोग्राम होता है. एसा कोई भी कंप्यूटर भाषा जिसे कमपईल करने की आवश्कता नहीं होती उसे नोटपेड पर लिखा जा सकता है जैसे                  HTML – (Hyper Text Markup Language*)
WORDPAD*                                       – यह भी एक टेक्स्ट एडिटर प्रोग्राम है जिसके अंतर्गत हम कोई पत्र या शब्दों से संबन्धित किसी काम को सम्पादित कर सकते हैं. इसके प्रयोग से हम साधारण टाइप राइटर्स की तुलना मे कहीं अच्छे तरीके से लिखने का काम कर सकते है.

बाह्य एप्लिकेशन के उदाहरण के लिए
MS OFFICE*                                       – यह एक बहुत उपयोगी प्रोग्राम का बण्डल है जिसके अंतर्गत लिखनेवाला काम तो होता ही है साथ ही साथ स्प्रेडशीट्स और प्रेसेंटेशन का भी काम होता हैं. स्प्रेडशीट्स का मतलब हुआ एक प्रकार का व्यापारिक लिखा जोखा वाला काम और प्रेसेंटेशन का मतलब हुआ लिखे हुए काम को दूसरों के पास दिखलाने का तरीका.
OUTLOOK*           – इस सोफ्टवेयर का प्रयोग इंटरनेट से मेल भेजने या मंगवाने के लिए किया जाता हैं. इसमें एक बार मेल आने के बाद पुनः उसे पढ़ने के लिए इन्टरनेट कनेक्शन की अवश्यकता नहीं होती.

PHOTOSHOP*        – चित्र से सम्बंधित वृहत काम के लिए इस सोफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता हैं.

COREL DRAW*        – लोगो डिजाइन से सम्बंधित काम के लिए इस सोफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता हैं.

FLASH*              – चलंत चित्र (Animation) बनाने के लिए इस सोफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता हैं.

PAGE MAKER*        – पत्र डिजाइन से सम्बंधित काम के लिए इस सोफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता हैं.

.NET*                – स्वयं का अलग काम करने के लिए प्रयुक्त होने वाले प्रोग्राम को बनाने के लिए से सम्बंधित काम के लिए इस सोफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता हैं.

ORACLE       *             – डाटाबेस के लिए इस सोफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता हैं. डाटाबेस का अर्थ हुआ एसी जगह जहाँ हम अपने डाटा को सुसज्जित तरीके से पुनः प्रयोग मे लाने के लिए रखते हैं. जैसे अगर हमे किसी विद्यार्थी का डाटा रखना है तो उससे जुड़ी बहुत सी जानकारी रखना होता है जैसे उसका नाम, क्लास, पिता का नाम, घर का पता इत्यादि.
नोट- जहां जहां * हैं उसका मतलब हैं की हम उसकी चर्चा आगे बहुत विस्तार से करेंगे

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